Monday, May 30, 2011
गुमसुम बैठी हो क्यूँ...?? गुमसुम
पति ---
गुमसुम बैठी हो क्यूँ...?? गुमसुम
कुछ तो बताओ ना..... हमदम
गुमसुम बैठी हो क्यूँ...?? गुमसुम
एकबार मुझे तो देखो
एकबार तो मुस्काओ
क्या दिल में छुपा के बैठे
वोह हमको तो बतलाओ
हम तो संग है तेरे..... हरदम
गुमसुम बैठी हो क्यूँ ...?? गुमसुम
कुछ तो बताओ ना... हमदम
तेरी बात सुनसुन के तो
दिल को ख़ुशी मिलती है
तेरी आवाज से ही तो
जिंदगी हसीं लगती है
कुछ बात तो करो ना... ऐ सनम
गुमसुम बैठी हो क्यूँ ...?? गुमसुम
कुछ तो बताओ ना... हमदम
नाराज हो क्या किससे
गलती हुई क्या मुझसे
चलो माफ़ी भी मांगते है
अब भी रूठे क्यूँ ऐसे
अब छोडो ये गुस्सा... जानेमन
गुमसुम बैठी हो क्यूँ ...?? गुमसुम
कुछ तो बताओ ना... हमदम
पत्नी--
हफ्ते के बाद आते हो
एक दिन तो साथ रहते हो
जल्दी नहीं फिर भी क्यूँ
तुम नहीं आ सकते हो
गलती की है ये सजा... बेरहम
ताकि तुम भी जान सको... अकेलापन
पति--
माना हुई गलती मेरी
पर होगी ना मज़बूरी
जानती तो हो तुम
कितनी लम्बी है दुरी
ऐसे ना रूठो तुम.... ऐ सनम
गुमसुम ना तुम रहो... हमदम
यूँही पास ही तुम रहो.... जानेमन
--स्नेहल
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